Motivation and Our Mindset - The thinking process

साथियों आज के इस लेख में हम पढ़ेंगे, कि आखिर मन को कैसे मजबूत बनाया जाए। आखिर कैसे पूरी तरीके से मोटिवेट हुआ जाए। उम्मीद है यह लेख पढ़ने के पश्चात आप अपने मन को बांधना है या फ्री रखना है निर्णय कर पाएंगे।।

 

वास्तव में मोटिवेशन एक ऐसी प्रेरणा है या एक ऐसी शक्ति है जो हमें जीवन में कोई कदम उठाने के लिए प्रेरित करती है। 

आपने कभी सोचा कि आपने जिंदगी में कोई लक्ष्य बना रखा था आपने उसे हासिल किया और उसे हासिल करते वक्त आपको कैसा महसूस हुआ। कैसे महसूस किया आपने उस वक्त उस भावना ने इसे प्राप्त करने की आपकी इच्छा को कैसे पूरा किया।

 

जब भी जिंदगी में आप कुछ बड़ा करने वाले हैं या कोई भी परिवर्तन लाने वाले हैं तो आपकी इच्छा आप के डर को खत्म कर देती है या आपका डर आपकी इच्छा को खत्म कर देता है। यह सब हमारी मानसिकता में जाता है बस हमें व्यक्त करना होता है कि जो लक्षा हम प्राप्त करना चाहते हैं वह हमारे लिए पर्याप्त है या नहीं। तब हमें जरूरत पड़ती है कोशिश करने की और कोशिश करने के लिए हमें जरूरत होती है अपनी मजबूत मानसिक शक्ति की।

 

हम चाहे कोई भी काम करें या कोई भी लक्षण हम अचीव करना चाहे तो उसके लिए हमें कठोर मेहनत मजबूती से और एनर्जेटिक रहने की आवश्यकता होती है। सत्ता है कि हम जिस लक्ष्य तक पहुंचना चाहते हैं उसके रास्ते में हम असफल भी हो सकते हैं। हमारे और लक्ष्य के बीच वाले रास्ते पर कई बार उतार-चढ़ाव जरूर आएंगे परंतु हमें यह सीख लेना चाहिए कि यह भी जीवन का एक नॉर्मल सा हिस्सा है। तो आज इस लेख को पढ़कर आप भी अपना माइंड सेट मजबूत कर सकते हैं या परमानेंट मोटिवेट हो सकते हैं।

 

अपनी ताकतों और शक्तियों की पहचान करना

 


रामायण में हमने देखा था कि हनुमान जी अपनी शक्तियां भूल गए थे। तब जामवंत जी ने उन्हें उनकी शक्तियां याद दिलाई और जब उन्हें अपनी शक्तियां याद आई तब वह समंदर भी लांघ गए थे। 

आपको क्या लगता है कि पहले क्या वह समंदर नहीं मांग सकते थे? बिल्कुल लांघ सकते थे परंतु उन्हें खुद की शक्तियों के बारे में पता ही नहीं था। ऐसा ही हम इंसानों के साथ भी होता है। हम जब तक अपनी शक्तियों के बारे में नहीं जानते या हम अपनी क्षमताओं के बारे में नहीं जानते तब तक हम सर पर हाथ धरकर बैठे रहते हैं कि यह मेरे नसीब में नहीं है या मैं नहीं कर सकता।

परमानेंट मोटिवेट होने के लिए आपको सबसे पहले अपनी क्षमताओं के बारे में या अपने अंदर के टैलेंट को पहचानने की जरूरत है। आपको अपने अंदर एनालिसिस करना पड़ेगा और ढूंढना पड़ेगा कि मुझ में क्या खास है या मैं क्या कर सकता हूं। 

जब आपको अपनी क्षमताओं के बारे में पता होगा तब आपको यह आपके जीवन में बहुत अच्छी तरीके से मदद करेगा क्योंकि यह आपको सही संसाधनों और तरीकों से युक्त करेगा जो आपको सफल होने में योगदान करेंगे। जब लक्ष्यों की बात आती है, तो अपनी ताकत का ज्ञान होने से आपको कार्य करने का आत्मविश्वास और इंस्पिरेशन मिलती है, ताकि आप अपने रास्ते में आने वाले हर अवसर का लाभ उठा सकें जा अपने रास्ते में आने वाले हर उतार-चढ़ाव पर आप हमेशा खुश रहेंगे। आप तब हमेशा अपनी क्षमता से बेहतरीन गोल बनाएंगे। आप ऐसा लक्ष्य तय करेंगे जिसको आप अचीव कर सकते हैं। 

 

लक्ष्य तय कीजिए

 


लक्ष्य तय करना हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा और सबसे अहम फैसला है। क्योंकि यही लक्ष्य तय करता है कि हमें कहां तक, कब तक और क्यों जाना है। जितना बड़ा लक्ष्य होगा उतनी ज्यादा मेहनत होगी और जितनी ज्यादा मेहनत होगी उतनी बड़ी सफलता। बिना लक्ष्य तय किए हुए आपको पता भी नहीं चलेगा कि दरअसल में मुझे क्या करना है, या आपको पता भी नहीं चलेगा कि आप जी ही क्यों रहे हैं। बिना मंजिल तय किए हुए मंजिल का रास्ता नहीं मिलता है। इस दुनिया में या इतिहास में हर सफल व्यक्ति ने कभी ना कभी अपना लक्ष्य तय किया है और उस लक्ष्य पहुंचने के लिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की है। आप देखते हैं कि दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति, सबसे सक्सेसफुल व्यक्ति, सबसे खुश व्यक्ति या सबसे अच्छा आप हमेशा ढूंढने की कोशिश करते हैं। पर जो सफल लोग होते हैं वह दूसरों से भी इंस्पिरेशन लेते हैं कि उसने ऐसा क्या किया है कि वह सफल हुआ है। यकीन मानिए इस दुनिया के हर सफल व्यक्ति ने कभी कभी कोई ना कोई लक्ष्य जरूर तय किया है चाहे वह कितने भी समय के लिए तय किया हो।

 

"क्यों" ढूंढ़ना है जरूरी

 

काम चाहे कोई भी करें, पर उसको करना क्यों है। ये जानना तो बहुत ही जरूरी है। गीता में कृष्ण भगवान ने कहा कि "हे अर्जुन, तुम कर्म करते जाओ, फल की चिंता मत करो" परन्तु इस भागदौड़ वाली जिंदगी को देखकर लगता है कि, ये उस कथा में ही उचित लगता है। आज के समय में कर्म का फल पहले देखना और जानना जरूरी होता है।

आखिर किसी काम को किया क्यों जाए, ये निर्भर करता है कि आखिर जो काम करना है उसका परिणाम हमसे किस तरह से जुड़ा हुआ है।

 


इससे पहले कि आप अपने लक्ष्यों को निर्धारित करें उससे पहले आपको उनको करने की वजह यानी क्यों ढूंढना आवश्यक है। गहराई से इसके बारे में अपने आप से पूछो कि मैं इस लक्ष्य को क्यों प्राप्त करना चाहता हूं और इससे भी ज्यादा इंपॉर्टेंट बात यह हो जाती है कि इस लक्ष्य को हासिल नहीं करने पर आपको क्या परिणाम होगा। 

 

किसी महापुरुष ने कहा है कि आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करके जो चीज प्राप्त करते हैं, वह उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करके बन जाते हैं।

 

क्यों का मतलब जरूरत भी हो सकता है

मतलब जैसे मुझे किसी चीज की जरूरत है, तो मैं लक्ष्य तय कर सकता हूं कि मुझे इस चीज की जरूरत है। इसलिए मैं इस लक्ष्य को हासिल करूंगा।

 

मैं तो यही कहूंगा कि आप जो भी काम करते हैं उसके मजे लेने चाहिए। भई काम में अगर हम मजे लेंगे तो वह काम हम बहुत अच्छे तरीके से कर सकते हैं। और अपनी क्षमता के अनुरूप या क्षमता से अधिक बढ़िया आउटपुट जनरेट कर सकते हैं।

किसी दूसरे महापुरुष ने कहा है कि "यह आश्चर्यजनक है और मैंने ऐसा कई बार देखा है फिर भी यह मुझे खौफ से नहीं भरता है। जब आप अपने लक्ष्य तय करते हैं जिंदगी खुद को खुद ही एडजस्ट कर लेती है, बहुत सारी घटनाएं क्रमबद्ध तरीके से होने लगती हैं जो हमने कभी प्रिडिक्टेड भी नहीं थी और ना ही हमने उनको प्लान किया था" और हम वहां पहुंच जाते हैं।

 

यदि आप अपने लक्ष्यों को बहुत अच्छे तरीके से भी हासिल करना चाहते हैं, या महारत हासिल करना चाहते हैं। तो आपको कभी भी अपने परिणामों को नहीं देखना चाहिए। आपको ज्यादा से ज्यादा अचीव करने के लिए धीरे-धीरे और लगातार चलना पड़ेगा। जो भी कार्य हमारे गोल की तरफ से हमारे लक्ष्य की तरफ हमको ले जाता है उसके फुल मजे लेने चाहिए। 

 

हमेशा मोटिवेट होना है तो हमेशा अपने कार्य के प्रति या अपने लक्ष्य के प्रति भूखा रहना

 

हमने जो भी लक्ष्य तय किए हैं, वह हमें दिशा प्रदान करते हैं। लेकिन हो सकता है कि जब जिंदगी में कोई मोड़ रहा हो तो हो सकता है कि वहां पर हमारे लक्ष्य भी इसके साथ बदल जाएं, या अपनी दिशा बदल ले। जब किसी लक्ष्य की तरफ जाने की शुरुआत करते हैं हम तो शुरू में हमारी इच्छा शक्ति और आंतरिक मोटिवेशन जबरदस्त होते हैं।

 

परंतु जैसे जैसे दिन बीतते हैं, यह इच्छा शक्ति और मोटिवेशन धीरे-धीरे कम होने लगता है। अब यहां पर जरूरी है कि आप भूखे बनी रहे अपने लक्ष्य को पाने के लिए। भूखे रहने से मतलब यह नहीं है कि आपने खाना पीना ही बंद कर दिया। इस दौरान आपको अपने स्वास्थ्य का भी पूरा ख्याल रखना पड़ेगा। यह बुक आपको बार-बार याद दिलाएगी कि आप आखिर चले क्यों थे इस रास्ते पर। 

अपनी भूख को जिंदा रखने के लिए आप हमेशा दिन में 5 या 10 मिनट अपने लक्ष्यों के बारे में विचार विमर्श कर सकते हैं। आप अपने लक्ष्यों को लिखिए, यह कुछ ऐसा है जैसे बीज बोना। यदि आप उस बीज को हर दिन पानी देते हैं तो आपको यकीन आएगा कि आपका सपना या आपका लक्ष्य कितनी जल्दी आपकी वास्तविकता में बदल सकता है।

 

 

अगर आप भी सफल होना चाहते हैं, तो आपको अंदर से मोटिवेट होना पड़ेगा। अगर आप अंदर से मोटिवेट नहीं होते हैं तो आपको अपने आप को अंदर से मोटिवेट होने के लिए तैयार करना पड़ेगाक्योंकि यही जो मानसिक प्रेरणा होती है, यही हमें सच्चे मायनों में अपने लक्ष्य की ओर ले जाती है। हमेशा ऐसे कामों को करने के लिए रेडी रहें, जो आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचाएंगे। काम चाहे कितना भी करें परंतु इस बात को कभी नहीं भूलना कि हमारा दिमाग ही सबसे जरूरी टूल है हमारे पास, जो हमें हमारे लक्ष्य की तरफ ले जाएगा।

 

एक महापुरुष थे डेनिस जे. हार्ट, जिन्होंने कहा था कि "जीवन में आप जो चाहते हैं, उसे पाने के लिए आपको आपकी लक्ष्यों और सपनों का समर्थन करने के तरीके में सोचने की क्षमता विकसित करनी चाहिए। जब आप अपने दिमाग को मास्टर बना लेते हैं तभी आप अपने जीवन में असली मायनों में मास्टर बनते हैं।

 

उम्मीद है दोस्तों आपको पता चल गया होगा कि आखिर इस दिमाग को कैसे मजबूत बनाना है। कैसे परमानेंट मोटिवेट होना है। अगर इसके बावजूद भी अगर आपके मन में कोई सवाल या कोई शक है तो आप नीचे कमेंट में हमें लिख सकते हैं। हम आपका जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे।

धन्यवाद।।

 जितना बड़ा डिजायर होगा उतने मोटीवेट रहेंगे। यही परमानेंट मोटिवेशन का काम करेगा।


Comments